महाराणा प्रताप जी के जीवन के रोचक किस्से, जिसे आप नहीं जानते होंगे !
- महाराणा प्रताप के पास हमेशा 104 किलो वजन वाली दो तलवार थीं। वे इन तलवारों को इसलिए साथ रखते थे कि यदि कोई निहत्था दुश्मन आता, तो उन्हें एक तलवार उसे दे सकें, क्योंकि वे निहत्था व्यक्तियों पर हमला नहीं करते थे। महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक भी उनकी तरह बहादुर था।
- महाराणा प्रताप की 11 रानियाँ थीं, जिनमें से मुख्य महारानी अजबदे पंवार थीं, और उनके 17 पुत्रों में से अमर सिंह महाराणा प्रताप के उत्तराधिकारी और मेवाड़ के 14वें महाराणा बने। महाराणा प्रताप का निधन 19 जनवरी 1597 को हुआ था। कहा जाता है कि इस महाराणा की मृत्यु पर अकबर की आंखें भी नम हो गई थीं।
- महाराणा प्रताप की जान को 1576 में उनके और अकबर की सेना के बीच हुई युद्ध में एक वफादार मुस्लिम ने बचाया। अकबर की सेना को मानसिंह ने नेतृत्व किया था। मानसिंह के साथ 10 हजार घुड़सवार और हजारों पैदल सैनिक थे, लेकिन महाराणा प्रताप केवल 3 हजार घुड़सवारों और मुट्ठी भर पैदल सैनिकों के साथ लड़ रहे थे। इस दौरान मानसिंह की सेना ने महाराणा पर हमला किया था, लेकिन महाराणा के वफादार हकीम खान सूर ने उन्हें बचाया और उनकी जान बचा ली। कई बहादुर साथी जैसे भामाशाह और झालामान भी इस युद्ध में महाराणा की जान बचाते हुए शहीद हो गए थे।
- भाई शक्ति सिंह प्रतिकूल हो गए थे, फिर प्रेम हल्दीघाटी के बाद जागा। जब महाराणा बच निकले, तब उन्हें पीछे से आवाज़ आई- “हो, नीला घोड़ा रा असवार.” महाराणा पीछे मुड़े, तो उनका भाई शक्तिसिंह आ रहा था। महाराणा के साथ शक्ति की सहायता नहीं थी, इसलिए वह अकबर की सेना में शामिल हो गए और उसके मुख्य शत्रु के खिलाफ लड़ रहे थे। युद्ध के दौरान शक्ति सिंह ने देखा कि महाराणा के पीछे दो मुगल घुड़सवार हैं। तो उसका पुराना भाई-प्रेम जागा और उन्होंने दोनों मुगलों को मारकर महाराणा के पास पहुंच गए।
- सारी जनता के साथ राणा की सेना के लिए राणा प्रताप का जन्म कुम्भलगढ़ किले में हुआ। यह किला दुनिया की सबसे पुरानी अरावली पर्वत श्रृंखला के एक पहाड़ी पर स्थित है। भीलों की कूका जाति ने राणा का पालन-पोषण किया था और उनसे बहुत प्रेम किया। वे राणा के आंख-कान थे। जब अकबर की सेना ने कुम्भलगढ़ को घेर लिया, तो भीलों ने मुकाबला किया और तीन महीने तक अकबर की सेना को रोका। एक दुर्घटना के कारण किले का पानी गंदा हो गया और महाराणा को कुछ दिनों के लिए किला छोड़ना पड़ा, जिससे अकबर की सेना ने उसे कब्जा कर लिया। लेकिन अकबर की सेना वहाँ अधिक दिनों तक टिकी नहीं और फिर से कुम्भलगढ़ का राजा महाराणा के हाथ में आ गया। इस बार महाराणा ने पड़ोसी राज्यों को अकबर से मुक्त कर लिया।
- जब महाराणा प्रताप जंगल-जंगल भटक रहे थे, तो एक दिन पांच बार भोजन बनाया गया और प्रत्येक बार उन्हें भोजन को छोड़कर भागना पड़ा। एक बार प्रताप की पत्नी और उनकी पुत्रवधू ने घास के बीजों से रोटियां बनाईं। उनमें से आधी रोटियां बच्चों को दी गईं और बची हुई आधी रोटियां दूसरे दिन के लिए रख दी गईं। इसी समय प्रताप ने अपनी लड़की की चीख सुनी। एक जंगली बिल्ली ने लड़की के हाथ से रोटी छीनी और भाग गई, जिससे लड़की के आंसू टपक आए। इस दृश्य ने राणा का दिल भी दुःखित किया। अधीर होकर उन्होंने उस समय के राज्याधिकार की निंदा की, जिससे उन्हें ऐसे करुण दृश्य देखने को मिले। इसके बाद अपनी कठिनाइयों को दूर करने के लिए उन्होंने अकबर से मिलने की इच्छा जताई।
- अकबर भी तारीफ किए बिना नहीं रह सका जब महाराणा प्रताप अकबर से हारकर जंगल-जंगल भटक रहे थे। अकबर ने एक जासूस को महाराणा प्रताप की खोज की जानकारी लेने के लिए भेजा। गुप्तचर ने बताया कि महाराणा अपने परिवार और सेवकों के साथ बैठकर खाना खा रहे थे, जिसमें जंगली फल, पत्तियाँ और जड़ें थीं। जासूस ने बताया कि किसी को दुःखी नहीं था, न उदासी महसूस की गई। अकबर का ह्रदय भी इस बात के लिए प्रभावित हुआ और महाराणा के प्रति उनके ह्रदय में सम्मान उत्पन्न हुआ। अकबर के विश्वासपात्र सरदार अब्दुर्रहीम ख़ानख़ाना ने भी अकबर के द्वारा प्रताप की प्रशंसा सुनी थी। उन्होंने अपनी भाषा में लिखा, “इस संसार में सभी नाशवान हैं, पर महाराणा ने धन और भूमि को छोड़ दिया, पर उसने कभी अपना सिर नहीं झुकाया। हिंदुस्तान के राजाओं में वही एकमात्र ऐसा राजा है, जिसने अपनी जाति के गौरव को बनाए रखा है।” उनके लोग भूख से बिलखते उनके पास आकर रोने लगे। मुगल सैनिक इस प्रकार उनके पीछे पड़ गए थे कि भोजन तैयार होने पर कभी-कभी खाने का अवसर भी नहीं मिल पाता था और सुरक्षा के कारण भोजन छोड़कर भागना पड़ता था।
- महाराणा प्रताप की 11 पत्नियाँ थीं, जिसमें से महाराणा प्रताप की कुल 11 पत्नियाँ थीं। उनकी मृत्यु के बाद, सबसे बड़ी रानी महारानी अजाबदे का बेटा अमर सिंह पहले राजा बना।
- महाराणा प्रताप को बचपन में प्यार से “किका” नाम से बुलाया जाता था।
- हल्दी घाटी के युद्ध को टालने के लिए अकबर ने छह बार महाराणा प्रताप के पास अपने शांति दूतों को भेजा, लेकिन राजपूत राजा ने हर बार अकबर के प्रस्ताव को नकारा।
- हल्दी घाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप ने केवल 20 हजार सैनिकों के साथ मुगल बादशाह अकबर के 80 हजार सैनिकों का सामना किया। फिर भी अकबर महाराणा प्रताप को झुकाने में असमर्थ रहा।
- महाराणा प्रताप के प्रिय और वफादार घोड़े ने भी दुश्मनों के सामने अद्भुत वीरता का परिचय दिया था, लेकिन उसी युद्ध में चेतक मृत्यु हो गई थी। आज भी चित्तौड़ की हल्दी घाटी में महाराणा प्रताप के प्रिय घोड़े चेतक की समाधि है।
- महाराणा प्रताप जितने ही बहादुर थे, उतने ही दरियादिल और न्याय प्रिय भी थे। एक बार उनके पुत्र अमर सिंह ने अकबर के सेनापति रहीम खानखाना और उसके परिवार को बंदी बनाया था, जिसको महाराणा ने उन्हें छुड़वाया था।
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