शनिदेव और भगवान श्री कृष्ण का संबंध

🦚 श्री कृष्ण- ईश्वर का क्रियात्मक स्वरूप: जगत् का पालन करता 》श्रीकृष्ण के बिना पृथ्वी का कोई अस्तित्व और पालन नहीं है। ग्रह, नक्षत्र, देवी, देवता, मनुष्य, शैतान, शुभ-अशुभ सभी कुछ श्रीकृष्ण के अधीन हैं। अत: शनि भी श्रीकृष्ण के आधीन हैं।
🪐 शनिदेव और भगवान श्री कृष्ण का संबंध: अंक ज्योतिष में शनि ग्रह का संबंध 8 अंक से है। वहीं भगवान श्रीकृष्ण का भी 8 अंक से विशेष संबंध है। कृष्ण को भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है। वहां उनका जन्म माता देवकी के आठवें पुत्र के रूप में भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी और आठवें पहर में जन्म हुआ था। ये 8 अंक जीवन भर ईश्वर कृष्ण से जुड़े रहे हैं।
🛕 शनि महाराज का कोकिलादेव मंदिर : ब्रह्मपुराण अनुसार शनिदेव भगवान श्रीकृष्ण के परम भक्त हैं। जब भगवान कृष्ण का जन्म हुआ, तो सभी देवता उनके जन्मस्थान नंदगांव आए। परंतु माँ यशोदा ने शनि की वक्र दृष्टि के कारण, उन्हें घर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी। इससे शनिदेव निराशा हुए कि लोग उन्हें क्रूर मानते हैं जबकि वे न्याय करने का अपना कर्तव्य निभाते हैं l तब शनिदेव ने श्रीकृष्ण के दर्शन पाने के लिए मथुरा से 60 किमी दूर कोकिलावन नामक स्थान पर कठोर तपस्या की। भगवान कृष्ण शनिदेव के सामने प्रकट हुए और शनि को वरदान दिया कि जो लोग सद्भावना से उनकी पूजा करेंगे, वे उनकी परेशानियों से मुक्त हो जायेंगे। श्री कृष्ण ने कोयल के रूप में शनिदेव को दर्शन दिये थे। इस मंदिर का उल्लेख गरुड़ पुराण और नारद पुराण में भी मिलता है।
🪈 कृष्ण भावनामृत (परमेश्वर के रूप में भगवान के पूर्णज्ञान के साथ कर्म): कृष्ण भक्ति से हमारे जीवन में नवग्रहों के अशुभ प्रभाव का नियंत्रण 》वैदिक विज्ञान के अनुसार, हमारे ब्रह्मांड में ग्रह और सभी तारे कुछ ऊर्जाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं और चुंबकीय और विद्युत क्षेत्र उत्सर्जित करते हैं। प्रत्येक ग्रह अपना स्वयं का, ब्रह्मांडीय रंग, एक विशेष ऊर्जा और प्रभाव उत्पन्न करता है जो पूरे ब्रह्मांड में फैलता है। अंतरिक्ष के माध्यम से इन रंगीन किरणों का संचरण, गर्मी, चुंबकत्व और बिजली के ऊर्जा देने वाले गुणों के साथ, प्रत्येक जीवित प्राणी के जीवन पर प्रभाव डालता है।
“यत् पिण्डे तत् ब्रह्माण्डे”
“हम, सूक्ष्म जगत के रूप में, बाहरी स्थूल जगत का प्रतिबिंब मात्र हैं।”
♨️ भगवान कृष्ण की पूजा से सभी ग्रहों को सकारात्मक परिणाम मिलते हैं, विशेषकर शनि देव की पीड़ा से जो दंड के रूप में हमें देते हैं l गुड़हल, कौमुदी, आक, अपराजिता कमल का नीला फूल और कई जंगली नीले फूल शनिदेव के अलावा भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण लक्ष्मी को भी प्रिय है!
🪔 भगवान श्री कृष्ण-श्री राधा रानी को चरण नमन और शनिदेव से प्रार्थना :
“ओम कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने प्रणत: क्लेश नाशाय गोविंदाय नमो नमः”
ll ॐ शं शनिचराय नमः ll
🪻 सामवेद के छांदोग्य उपनिषद् 8.13.1 में कहा गया है: ‘स्यामाच चवलं प्रपद्ये, सवालाच च्यमं प्रपद्ये, स्यामाच।’ ‘काले (स्यामा) की सहायता से हम श्वेत (सवाल) की सेवा में प्रविष्ट होंगे; श्वेत (सवाल) की सहायता से हम श्यामा (स्यामा) की सेवा में प्रविष्ट होंगे।’ यहां काला रंग कृष्ण को और श्वेत रंग गौर वर्ण वाली राधा को दर्शाता है।
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