सर्वोच्च ईश्वर विष्णु के विभिन्न स्वरूप और मानव अवतार का प्रातःकाल प्रतिदिन स्मरण और ध्यान

सर्वोच्च ईश्वर विष्णु के विभिन्न स्वरूप और मानव अवतार का प्रातःकाल प्रतिदिन स्मरण और ध्यान (नियमित) 》शेषनाग पर भगवान विष्णु: विश्राम मुद्रा में; शेषनाग भगवान विष्णु की उर्जा का प्रतीक हैंl भगवान विष्णु की यह विश्राम मुद्रा इंगित करती है कि मनुष्य के जीवन में परिवार, सामाजिक और आर्थिक जिम्मेदारी के प्रति कर्तव्य शामिल हैं। इन कर्तव्यों को पूरा करने के लिए बहुत प्रयास करना पड़ता है और कठिन समय से गुजरना पड़ता है जिसे शेषनाग द्वारा समझा जा सकता है कि मनुष्य के जीवन में चिंताजनक स्थिति पैदा होती है। भगवान विष्णु का शांत चेहरा हमें इस कठिन समय में शांत रहने और धैर्य रखने की प्रेरणा देता है।
🌎वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर पृथ्वी की संरचना के एक भाग मैंटल में संवहनीय धाराएं चलती हैं जिनके कारण स्थलमंडल की प्लेटों में गति होती है। इन गतियों को रोकने के लिए एक बल काम करता है जिसे भुचुम्बकत्व कहते है l वैदिक ग्रंथों में इसी भुचुम्बकत्व को ही शेषनाग कहा गया है।
🔥 भगवान विष्णु के रुप और अवतार : विष्णु, अविभाजित सार्वभौमिक में परा वासुदेव कहलाते हैं। अनुभवजन्य स्तर पर उनके कई रूप हैं, अवतारों के रूप में। विष्णु के इस पहलू को व्यूह कहा जाता है l विष्णु सहस्रनाम में कहा गया है कि : चतुर व्युह चतुर गति: (चार गठन और चार लक्ष्य)
🌹 चार गठन / चरण है:
जाग्रत- जाग्रत अवस्था
स्वप्ना, द ड्रीम स्टेट,
सुषुप्ति, गहरी स्वप्नहीन अवस्था और
तुरिया, मंच व्यक्तित्व वास्तविकता में विलीन हो जाता है।
🌹 चार लक्ष्य हैं:
धर्म, धार्मिकता,
अर्थ, धन, (दिन-प्रतिदिन के लिए)
काम, इच्छाएं और मोक्ष।
🔆 प्रत्येक चरण में भगवान विष्णु को महसूस करने के लिए, लक्ष्मी तंत्र; बारह विष्णुओं का वर्णन 》(प्रत्येक एक महीने के लिए), हर महीने का प्रभाव हमारे जीवन पर पर पड़ता है। इसलिए प्रत्येक महीने में हम विष्णु के विभिन्न अलग-अलग स्वरूप का ध्यान स्मरण करते है। इसे मास-देवता (महीने के स्वामी) के रूप में पूजा जाता है और सामूहिक रूप से उन्हें वर्ष के साथ पहचाना जाता है l
✡️ विष्णु काल, जो पुरुष का प्रतिनिधित्व करते हैं: “व्यूहंतरा नाम” ; “शक्ति या पत्नी” ; “मासा या महीना” 👉
🪔 भगवान विष्णु के 12 स्वरूप- माता लक्ष्मी को प्रणाम और चरण नमन एवं प्रार्थना :
II शान्ताकारं भुजगशयनं II
भगवान विष्णु का सात्विक स्वरूप को नमन : प्रभु आप शांत, आनंदमयी तथा कोमल है ओर कालस्वरूप शेषनाग पर आनंद मुद्रा में शयन करते हैं l कृपया हमें अपने जीवन में लक्ष्यों की प्राप्ति प्रदान करने के लिए अपना आशीर्वाद प्रदान करे l
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